रायपुर(संचार टुडे)। भारतीय जनता पार्टी की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष तथा छत्तीसगढ़ की पूर्व मंत्री लता उसेंडी ने कहा कि राहुल गांधी छत्तीसगढ़ में चेहरा दिखाने से क्यों बच रहे हैं?वे छत्तीसगढ़ आने से क्यों कतराते हैं। राहुल गांधी दिल्ली में बैठकर आदिवासियों के मुद्दे पर अपनी सरकार की पीठ थपथपाने की बजाय यह बताएं कि वह आदिवासियों के बारे में जानते कितना है और यह भी बताएं कि उनकी सरकार जब आदिवासियों पर पौने पांच साल से जुल्म ढा रही है, सुनियोजित षड्यंत्र कर आदिवासी आरक्षण कम कराया गया, अदालत में ठीक से पक्ष नहीं रखा तो भी राहुल चुप रहे। छत्तीसगढ़ में आदिवासी महिलाओं से लेकर अबोध बच्चियों तक से दुराचार हो रहा है। आदिवासी महिलाएं मानव तस्करी का शिकार हो रही हैं। छत्तीसगढ़ में आदिवासी अपनी संस्कृति को बचाने के लिए कांग्रेस की भूपेश बघेल सरकार के खिलाफ आंदोलित हैं और यह सरकार आदिवासियों को जेल में ठूंस रही है। सरकार के संरक्षण में आदिवासियों का दमन हो रहा है आदिवासी समाजसेवियों की टारगेट किलिंग की जा रही है। आदिवासी चेतना के संचार के लिए बस्तर से लेकर मोहला मानपुर तक जब भाजपा के आदिवासी कार्यकर्ता समाज के बीच काम करते हैं तो उन्हें रोका जाता है। सरेआम धमकी दी जाती है कि भाजपा के लोग इलाके में आएं तो उन्हें काटकर फेंक दें। ऐसी धमकियां कांग्रेस के विधायक की मौजूदगी में दी जाती हैं तो राहुल गांधी को यह बताना चाहिए कि क्या उन्होंने इसके लिए निर्देशित किया है?

भाजपा राष्ट्रीय उपाध्यक्ष लता उसेंडी ने कहा कि भूपेश बघेल सरकार की तारीफ करने वाले राहुल गांधी को आदिवासियों को जवाब देना चाहिए कि छत्तीसगढ़ में सरेआम सुनियोजित रूप से धर्मांतरण किसके इशारे पर हो रहा है? किसके संरक्षण में हो रहा है और मुख्यमंत्री भूपेश बघेल दिल्ली जाकर पादरियों के सामने समर्पण क्यों करते हैं? कांग्रेस ने आदिवासियों का हमेशा से शोषण किया है। उन्हें राहुल गांधी के पुरखे केवल मनोरंजन का साधन समझा करते थे। राहुल गांधी दिल्ली में बैठकर भूपेश बघेल का यश गान करने की बजाय छत्तीसगढ़ आकर आदिवासियों की दुर्दशा देखें। लेकिन पिछले चुनाव में राहुल गांधी ने जितने भी वादे छत्तीसगढ़ की जनता और खास तौर पर आदिवासियों से किये थे, वे सब हवा में उड़ गए। छत्तीसगढ़ की जनता राहुल से जवाब मांग रही है। वे जनता का सामना करने की स्थिति में नहीं हैं इसलिए उनकी कांग्रेस खोजो यात्रा भी छत्तीसगढ़ नहीं आई और प्रस्तावित यात्रा भी छत्तीसगढ़ नहीं आने वाली। राहुल दूर रहकर न करें बात, छत्तीसगढ़ आ जाएं और देख लें कि उनकी सरकार में आदिवासी किस हाल में हैं।

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