बालोद (संचार टुडे)| एसईसीएल कुसमुंडा क्षेत्र अंतर्गत ग्राम खम्हरिया में 40 वर्ष पूर्व जमीन का अधिग्रहण किया गया था, लेकिन प्रभावित किसान परिवारों को न तो मुआवजा मिला और ना ही उन्हें पुनर्वास की सुविधा दी गई और कई रोजगार प्रकरण आज भी लंबित हैं। कई पीढ़ियों से किसान आज भी अपनी जमीन पर काबिज हैं और खेती किसानी कर अपना जीवन यापन कर रहे हैं। अब एसईसीएल कुसमुंडा प्रबंधन द्वारा उन्हें बेदखल करने का प्रयास कर रही है। जिसे अखिल भारतीय किसान सभा से संबद्ध छत्तीसगढ़ किसान सभा ने इस बेदखली के प्रयास का विरोध करते हुए किसानों के साथ अन्यायपूर्ण कार्यवाही बताया और किसानों की जमीन मूल किसानों के नाम वापस करने के साथ कृषि कार्य पर लगाए गए रोक को तत्काल हटाने की मांग की है। इस संबंध में एक ज्ञापन कुसमुंडा महाप्रबंधक को सौंपा गया है। ज्ञापन की प्रति मुख्यमंत्री और जिला प्रशासन को भी देकर उचित हस्तक्षेप करने की मांग की गई है।
छत्तीसगढ़ किसान सभा के जिला अध्यक्ष जवाहर सिंह कंवर और सचिव प्रशांत झा ने कहा कि 40 वर्ष पूर्व में अधिग्रहित जमीन का खनन न होना और किसी भी कार्य के लिए एसईसीएल द्वारा उपयोग नहीं करने से स्पष्ट है कि एसईसीएल ने आवश्यकता से अधिक जमीन का अधिग्रहण करके जमीन की जमाखोरी की है और इस क्षेत्र में हजारों किसान परिवारों की जमीन को औने-पौने दामों में हड़पकर उन्हें उनकी आजीविका से वंचित कर दिया है। यह किसानों के साथ सीधे-सीधे ठगी और धोखाधड़ी का मामला है और इसके लिए एसईसीएल के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही की जानी चाहिए।
छत्तीसगढ़ किसान सभा के नेता दीपक साहू ने कहा है कि अधिग्रहित भूमि का उपयोग न होने के कारण 40 वर्ष पूर्व किये गए अधिग्रहण का आज कोई महत्व नहीं है और ग्रामीणों की बेदखली के लिए किया जा रहा प्रयास अवैध है। अब एसईसीएल इस जमीन का उपयोग गैर-खनन कार्यों के लिए करना चाहता है। खनन परियोजनाओं के विस्तार के कारण दर्जनों गांवों के लोगों में बेदखली का डर पैदा हो गया है। किसान सभा इन प्रभावित गांवों के लोगों को संगठित करके एक बड़ा आंदोलन खड़ा करेगी।
ज्ञापन सौंपने में प्रमुख रूप से सुमेन्द्र सिंह ठकराल, राजीव यादव, ललित पटेल, गोलू यादव, प्रेमलाल, सुनीता, सावित्री, हीरा, हेम बाई, बेबी, नोहर कुंवर, जहीला, गंगा, सकून उपस्थित थे।