ई-कॉमर्स को मात देने के लिए सोशल कॉमर्स व्यापार करने का नया मज़बूत विकल्प बनेगा: अमर पारवानी

रायपुर(संचार टुडे)। देश के सबसे बड़े व्यापारिक संगठन कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के राष्ट्रीय वरिष्ठ उपाध्यक्ष अमर पारवानी, चेयरमेन मगेलाल मालू, अमर गिदवानी, प्रदेश अध्यक्ष जितेन्द्र दोशी, कार्यकारी अध्यक्ष विक्रम सिंहदेव, परमानन्द जैन, वाशु माखीजा, महामंत्री सुरिन्द्रर सिंह, कार्यकारी महामंत्री भरत जैन, एवं कोषाध्यक्ष अजय अग्रवाल ने बताया कि भारत में सोशल कॉमर्स तेजी से एक नए लेकिन मजबूत बिजनेस वर्टिकल के रूप में उभर रहा है जिसका आधार ई-कॉमर्स से भी बड़ा है और ऐसा माना जाता है कि वर्ष 2026 तक सोशल कॉमर्स ई-कॉमर्स को काफी पीछे छोड़ देगा

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यह बताते हुए कन्फ़ेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के राष्ट्रीय वरिष्ठ उपाध्यक्ष अमर पारवानी एवं प्रदेश अध्यक्ष जितेन्द्र दोशी ने कहा की सोशल मीडिया प्लेटफार्मों की व्यापक पहुँच एवं मज़बूत आधार के ज़रिए देश भर में सोशल कॉमर्स धीरे धीरे तेज़ी से ई-कॉमर्स का एक बड़ा विकल्प बनता जा रहा जिसमें ख़ास तौर पर व्हाट्सएप, फेसबुक और इंस्टाग्राम के ज़रिए बड़े पैमाने पर सोशल कॉमर्स व्यापारियों में फैलता जा रहा है।

भारत में सोशल कॉमर्स का वर्तमान बाज़ार आकार लगभग 8 बिलियन डॉलर का अनुमान है, जो 2030 में लगभग 85 बिलियन डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है। जिस तरह से देश भर में व्यापारियों एवं ग्राहकों के बीच सोशल कॉमर्स का चलन तेज़ी से बड़ रहा है उसको देखते हुए यह आँकड़े बहुत जल्दी पार होने की बड़ी संभावनाएँ हैं।

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वर्तमान में भारत में व्हाट्सएप पर 75 करोड़, फेसबुक पर 37 करोड़ और इंस्टाग्राम पर 33 करोड़ उपयोगकर्ता हैं जो ई-कॉमर्स की तुलना में बहुत बड़ी संख्या है। भारत में लगभग 100 करोड़ से अधिक स्मार्ट फोन उपयोगकर्ता हैं और स्मार्ट फोन के माध्यम से सोशल कॉमर्स का उपयोग, प्रमुख विदेशी ई-कॉमर्स कंपनियों की गड़बड़ियों को हराने के की ताक़त रखता है और इस दृष्टि से वर्ष 2026 तक सोशल कॉमर्स ई कॉमर्स से कहीं ज्यादा बड़ा डिजिटल कॉमर्स बनकर उभरेगा।

कैट के राष्ट्रीय वरिष्ठ उपाध्यक्ष अमर पारवानी एवं प्रदेश अध्यक्ष जितेन्द्र दोशी ने कहा कि कैट ने एक तरफ सरकार से ई-कॉमर्स नीति और नियमों को तुरंत लागू करने की पुरजोर मांग की है, वहीं दूसरी तरफ उसने सोशल कॉमर्स को सबसे बड़ा डिजिटल व्यापार का ज़रिया बनाने का फैसला किया है। यह व्यापार परिदृश्य और विदेशी ई-कॉमर्स कंपनियों के कदाचार को हराने के लिए एक प्रभावी उपकरण साबित होगा।

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पारवानी और दोशी ने कहा कि तेजी से विकसित हो रही व्यावसायिक जरूरतों के साथ टेक्नोलॉजी का विकास एवं उसका उपयोग व्यापार के लिए एक महत्वपूर्ण प्रवर्तक हो सकती है। हमारा मानना है कि खुद को बेहतर बनाने के लिए सही उपकरणों के साथ, भारत भर के व्यापारी अपने व्यवसाय को बढ़ाने के नए तरीके सीखकर लाभान्वित हो सकते हैं क्योंकि सोशल कॉमर्स सबसे अधिक लागत प्रभावी व्यवसाय क्षेत्रों में से एक है, न केवल खुदरा विक्रेता बल्कि उपभोक्ता भी अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए यहां से आते हैं। विश्वसनीय स्रोत उन्हें प्रतिस्पर्धी कीमतों और वस्तुओं की सर्वोत्तम गुणवत्ता का आश्वासन देते हैं।

पारवानी और दोशी ने कहा कि सोशल कॉमर्स पूरे भारत में सूक्ष्म, लघु व्यवसायों और उद्यमियों को नए बाजारों की खोज करने और अपने ग्राहकों की सेवा करने के साथ-साथ अपने व्यवसाय के लिए एक पेशेवर डिजिटल पहचान बनाने के लिए एक लोकतांत्रिक प्रवेश द्वार प्रदान करता है और वह भी बिना किसी लागत के सोशल कॉमर्स का विस्तार होना तय है क्योंकि इसमें पहले से ही विक्रेताओं और खरीदारों दोनों की बड़ी संख्या है और केवल एक चीज की जरूरत है कि इन दोनों सिरों को एक सामंजस्यपूर्ण तरीके से जोड़ा जाए जो कि एक आसान तरीका है।

देश के हर बाजार में सोशल कॉमर्स की गूंज पहुंचाने के लिए कैट पूरे देश में 45 हजार से अधिक व्यापार एसोसिएशन्स के ज़रिए इसको देश के कोने कोने में पहुँचाएगा।

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