देव उठनी एकादशी: ज्योतिषाचार्य के अनुसार तुलसी विवाह इस बार 23 नवम्बर को होगा. इस दिन को प्रबोधिनी एकादशी या देवउठनी एकादशी के नाम से जाना जाता है.
रायपुर(संचार टुडे)। सनातन धर्म में तुलसी विवाह का विशेष महत्व है, क्योंकि कार्तिक मास में भगवान विष्णु को सबसे प्रिय माना जाता है. इस मास में भगवान विष्णु चार महीने बाद योग निद्रा से जागते हैं. शास्त्रों में कहा गया है कि कार्तिक मास में तुलसी विवाह पर्व का विशेष महत्व है. कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को देवउठनी एकादशी कहा जाता है, और इसी दिन तुलसी विवाह का पर्व मनाया जाता है. इस साल तुलसी विवाह का पर्व 23 नवंबर, गुरुवार को मनाया जाएगा.
Read More- CM हाउस के ड्राइवर के साथ चाकू की नोक पर लूट
माना जाता है कि, देवउठनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु 4 महीने बाद योग निद्रा से जागते हैं. इस एकादशी को प्रबोधिनी एकादशी या देवउठनी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है. देवउठनी एकादशी के दिन ही चातुर्मास की समाप्ति होती है. इस दिन भगवान विष्णु और तुलसी माता की विशेष पूजा करने से दाम्पत्य जीवन में खुशहाली बनी रहती है.
Read More- देश के 115 शहरों तक पहुंची Jio AirFiber की सर्विस, अब बिना फाइबर कनेक्शन ले सकेंगे हाई स्पीड इंटरनेट का मजा
ज्योतिषाचार्य ने बताया है कि तुलसी विवाह इस बार 23 नवम्बर को होगा. इस दिन को प्रबोधिनी एकादशी या देवउठनी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है. भगवान विष्णु चार महीने चौमासा में क्षीरसागर में शयन करने के बाद आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की देवशयनी एकादशी से लेकर कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष के देवउठनी एकादशी पर्यंत इस चार मास के शयन से भगवान विष्णु जागृत होते हैं.
Read More- शादी में रुकावट बना दहेज, नाराज दुल्हन ने ले लिया ये फैसला
भगवान विष्णु के देवोउत्थान देवउठनी पूजन करके मां तुलसी के साथ भगवान विष्णु का विधि विधान के साथ विवाह किया जाता है. इससे संबंधित कथाएं भी हैं कि किस कारण भगवान विष्णु और तुलसी माता का विवाह करना पड़ा. तब से लेकर आज पर्यंत हर व्यक्ति अपने घर में तुलसी का चंवरा बनाकर उसमें तुलसी माता जी को सुंदर सजाकर गन्ने की मंडप मानकर भगवान सालिग राम और तुलसी माता का विवाह होता है, यहीं तुलसी विवाह है.