रायपुर(संचार टुडे)। भाजपा का यह कहना कि 58 प्रतिशत आरक्षण की बहाली उसकी विचारो की जीत है हास्यास्पद है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने कहा कि दरअसल 58 प्रतिशत आरक्षण भाजपा की रमन सरकार की जानबूझकर बरती गयी लापरवाही से ही अदालत में खारिज हुआ था। मुकदमे के शुरूआती 6 सालों तक रमन सरकार जानबूझकर तथ्य अदालत से छुपाते रही रमन सरकार के समय सन् 2012 में 58 प्रतिशत आरक्षण के खिलाफ उच्च न्यायालय में मुकदमा लगा था। जिसके संबंध में तत्कालीन रमन सरकार अदालत में सही तर्क नहीं प्रस्तुत कर पाई रमन सरकार की लापरवाही से ही अदालत का फैसला 58 प्रतिशत आरक्षण के खिलाफ आया।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने कहा कि कांग्रेस की भूपेश सरकार बिलासपुर उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट गयी वहां पर देश के सबसे ख्यातिनाम तीन वकीलों मुकुल रोहतगी, कपिल सिब्बल और अभिषेक मनुसिंघवी को पैरवी के लिये रखकर अपना पक्ष रखा जिसके कारण 58 प्रतिशत आरक्षण फिर से बहाल हुआ है।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने कहा कि बिलासपुर उच्च न्यायालय के द्वारा 58 प्रतिशत आरक्षण रद्द किये जाने के बाद कांग्रेस सरकार ने एक ओर जहां बिलासपुर उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर किया दूसरी ओर विधानसभा से विशेष सत्र बुलाकर आरक्षण संशोधन विधेयक पारित करवाया विधानसभा में पारित विधेयक में 76 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान किया गया है। जिसमें कांग्रेस सरकार ने सर्व समाज को आरक्षण देने विधानसभा से आरक्षण संशोधन विधेयक पारित करवा कर राजभवन भेजा है। भाजपा के षड़यंत्रों के कारण उस पर हस्ताक्षर नहीं हो रहा है। इस विधेयक में अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जाति को उनकी जनगणना के आधार पर तथा पिछड़ा वर्ग को क्वांटी फायबल डाटा आयोग की रिपोर्ट के आधार पर आरक्षण का प्रावधान किया। इस विधेयक में अनुसूचित जनजाति के लिये 32 प्रतिशत, अनुसूचित जाति के लिये 13 प्रतिशत तथा अन्य पिछड़ा वर्ग के लिये 27 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान है। आर्थिक रूप से कमजोर सामान्य वर्ग के लोगों को भी 4 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान किया गया है। आरक्षण संशोधन विधेयक पर भाजपा अपना रवैय्या स्पष्ट बताये कि राजभवन इस विधेयक पर हस्ताक्षर कब करेगा।