रायपुर(संचार टुडे)। मुख्यमंत्री आवास में आयोजित भूपेश कैबिनेट की बैठक में कई अहम फैसले लिए गए हैं। राज्य के शैक्षणिक संस्थाओं में पहले जैसी आरक्षण व्यवस्था के तहत एडमिशन प्रोसेस पूरा किया जाएगा। इसके निर्देश जारी किए गए हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने राहत देते हुए राज्य शासन की ओर से दायर एसएलपी में पारित अंतरिम आदेश पर एक मई 2023 के अंतर्गत राज्य में पहले जैसी आरक्षण व्यवस्था के अनुसार नियुक्ति / चयन प्रक्रियाओं को जारी रखने के निर्देश दिए हैं। मंत्रिपरिषद की बैठक में राज्य की शैक्षणिक संस्थाओं में भी प्रवेश प्रक्रिया पहले की तरह आरक्षण व्यवस्था के अंतर्गत करने का निर्णय लिया गया है।
58 फीसदी आरक्षण पर शैक्षणिक संस्थाओं में होंगे एडमिशन
रमन सरकार के समय राज्य शासन ने आरक्षण नीति में बदलाव करते हुए 18 जनवरी 2012 को अधिसूचना जारी की थी। इसके तहत लोकसेवा (अजा, अजजा एवं पिछड़ा वर्ग का आरक्षण) अधिनियम 1994 की धारा-4 में संशोधन किया गया था। इसके अनुसार अजजा वर्ग को 32 फीसदी, अजा वर्ग को 12 फीसदी और पिछड़ा वर्ग को 14 फीसदी आरक्षण का प्रावधान किया गया था।
बीते साल नवंबर में ही हाईकोर्ट ने सुनवाई करते हुए 58 प्रतिशत आरक्षण पर रोक लगा दी गई थी। राज्य सरकार की ओर से मामला सुप्रीम कोर्ट में गया था। 1 मई 2023 को सुप्रीम कोर्ट ने छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट की ओर से 58 फीसदी आरक्षण पर लगी रोक को सुप्रीम कोर्ट ने हटा दिया था। जिसके बाद अब इसी आरक्षण रोस्टर के अनुसार प्रदेश में भर्तियां चल रही है और अब शैक्षणिक संस्थानों में एडमिशन भी इसी रोस्टर के मुताबिक होंगे।
76 प्रतिशत आरक्षण का मामला राजभवन में अटका
2 दिसंबर 2022 को प्रदेश की कांग्रेस सरकार ने छत्तीसगढ़ लोक सेवा (अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और अन्य पिछड़ा वर्गों के लिए आरक्षण) संशोधन विधेयक और शैक्षणिक संस्था (प्रवेश में आरक्षण) संशोधन विधेयक पारित हुआ है। इन दोनों विधेयकों में आदिवासी वर्ग-ST को 32%, अनुसूचित जाति-SC को 13% और अन्य पिछड़ा वर्ग-OBC को 27% आरक्षण का अनुपात तय हुआ है। सामान्य वर्ग के गरीबों को 4% आरक्षण देने का भी प्रस्ताव है। इसको मिलाकर छत्तीसगढ़ में 76% आरक्षण हो जाता, मगर ये विधेयक राज्यपाल के पास हस्ताक्षर के लिए अब तक अटका ही है।