बिलासपुर(संचार टुडे)। जेल के बंदियों को उनके कार्य के बदले अर्जित मजदूरी का हिस्सा बंदी और अपराध से पीड़ित या उसके परिवार को देने का प्रावधान है। यह राशि जारी नहीं करने पर हाईकोर्ट ने शासन को तीन माह के भीतर नियम को अंतिम रूप देकर राशि वितरण का आदेश दिया है।
डिवीजन बेंच ने तीन माह में ऐसा नहीं होने पर याचिकाकर्ता को दुबारा जनहित याचिका दायर करने की छूट प्रदान की है। वर्तमान में प्रदेश की सभी जिला जेलों में 20 करोड़ से अधिक रुपए जमा हैं, (Bilaspur Higcourt PIL) जो पीड़ित या पीड़ित परिवार को दिए जाते हैं।
जेल अधिनियम, 1894 की धारा 36 (ए) के अनुसार, परिवार के सदस्यों के लिए मुआवजे के लिए निधि का निर्माण, बंदियों को उनके रोजगार के लिए समय-समय पर 50 प्रतिशत की दर से भुगतान किया जाएगा। बंदी द्वारा 1 महीने में अर्जित मजदूरी की कुल राशि को एक अलग सामान्य निधि में रखा जाएगा और जमा किया जाएगा जिसका उपयोग इस अपराध के पीड़ितों या उन परिवारों को भुगतान करने के लिए किया जाएगा। (Bilaspur Higcourt PIL) निधि का लेखा-जोखा जेल अधीक्षक द्वारा ऐसे प्रारूप और नीति में रखा जाएगा जैसा निर्धारित किया जा सकता है। पीड़ित को भुगतान की जाने वाली राशि समिति द्वारा तय की जाएगी। इस मामले में संजय साहू ने जनहित याचिका दायर की। इसमें प्रवधान के अनुसार बंदी के परिजनों को जमा हुई राशि वितरित करने का आदेश देने का अनुरोध किया गया था।