Chhattisgarh High Court News: सजा की बात सुनते ही IG और SP ने कोर्ट में मांगी माफी, जानें पूरा मामला

Chhattisgarh High Court News: बिलासपुर हाईकोर्ट में अवमानना याचिका की सुनवाई के दौरान जैसे ही याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि न्यायालयीन आदेश की अवहेलना करने वाले अफसर को छह महीने की सजा भुगतनी पड़ सकती है। साथ ही दो हजार रुपये का जुर्माना भी पटाना पड़ेगा। इसके तत्काल बाद न्यायालयीन आदेश की अवहेलना के आरोप से घिरे पुलिस महानिरीक्षक व पुलिस अधीक्षक (सीआईडी) ने कोर्ट के सामने माफी मांग ली। नाराज कोर्ट ने जरुरी हिदायतों के साथ याचिका को निराकृत कर दिया है।

Chhattisgarh High Court News: न्यू राजेन्द्र नगर, रायपुर निवासी कृष्णा प्रसाद ठाकुर पुलिस मुख्यालय रायपुर में प्रधान आरक्षक के पद पर पदस्थ थे। सेवानिवृत्ति के पश्चात् पुलिस महानिरीक्षक एवं पुलिस अधीक्षक, सीआईडी द्वारा उन्हें सेवाकाल के दौरान अधिक वेतन भुगतान का हवाला देते हुए तीन लाख 28 हजार 657 रुपये का वसूली करने व भुगतान ना करने की स्थिति में सभी सेवानिवृत्ति देयक रोक लगाने का आदेश जारी कर दिया था।

 

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Chhattisgarh High Court News: मामले की प्रारंभिक सुनवाई के बाद हाई कोर्ट ने याचिकाकर्ता के वसूली राशि को रोककर सभी सेवानिवृति देयकों का भुगतान 60 दिन के भीतर करने का निर्देश दिया था। हाई कोर्ट द्वारा जारी निर्देश के बाद भी निर्धारित अवधि में पुलिस विभाग ने देयकों का भुगतान नहीं किया। इस पर कृष्णा प्रसाद ठाकुर ने अधिवक्ता अभिषेक पाण्डेय एवं दुर्गा मेहर के माध्यम से विभाग के आला अधिकारियों पर न्यायालयीन अवहेलना का आरोप लगाते हुए अवमानना याचिका दायर की।

 

अवमानना याचिका की सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से पैरवी करते हुए अधिवक्ता पांडेय ने कहा कि वरिष्ठ आइपीएस अधिकारियों द्वारा हाई कोर्ट द्वारा पारित आदेशों की लगातार अवहेलना की जा रही है। इससे याचिकाकर्ताओं को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। अफसरों की हठधर्मिता के कारण याचिकाकर्ताओं को समय पर न्याय नहीं मिल पा रहा है। समय के साथ ही आर्थिक परेशानियों का भी सामना करना पड़ रहा है। अधिवक्ता का कहना था कि इससे कोर्ट का समय भी अनावश्यक बर्बाद होता है।

 

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अवमानना याचिका की अंतिम सुनवाई जस्टिस एनके व्यास की सिंगल बेंच में हुई। सुनवाई के दौरान पुलिस महानिरीक्षक एवं एसपी (सीआइडी), रायपुर ने भविष्य में इस प्रकार की गलती का दोहराव ना करने का आश्वासन देते हुए कोर्ट से माफी मांगी। जरुरी निर्देशों के साथ कोर्ट ने याचिका को निराकृत कर दिया है।

 

नियमों का दिया हवाला, बताया सजा का है प्रविधान

जस्टिस एनके व्यास की सिंगल बेंच में सुनवाई के दौरान अधिवक्ता पांडेय ने नियमों व प्रविधान का हवाला देते हुए कहा कि न्यायालयीन अवमाननना अधिनियम 1971 के उपनियम 12 में न्यायालय के आदेश की अवमानना पर छह महीने का कारावास एवं दो हजार रुपये के जुर्माने का प्रविधान है। हाई कोर्ट के आदेशों का तय समय सीमा में पालन कराए जाने एवं कोर्ट का कीमती समय बचाने के लिए अवमानना याचिकाओं में अधिकारियों को दंडित किया जाना आवश्यक है।

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