छत्तीसगढ़ी फिल्म “काहे के चिंता हे कका जिंदा हे”  घिरा विवादों मे, राकेश द्वेवदी और अनूप पांडेय ने की फिल्म प्रदर्शन पर रोक लगाने मांग 

छत्तीसगढ़ी फिल्म “काहे के चिंता हे कका जिंदा हे”  घिरा विवादों मे, राकेश द्वेवदी और अनूप पांडेय ने की फिल्म प्रदर्शन पर रोक लगाने मांग

बालोद(संचार टुडे)। छत्तीसगढ़ राज्य के सिनेमाघरों में इन दिनों बहुचर्चित छत्तीसगढ़ी फिल्म “काहे के चिंता हे कका जिंदा हे” 13 अक्टूबर से शुभारंभ हुआ है। लेकिन अब इस फिल्म का विरोध भी शुरू हो गया है।

गत दिनों भिलाई के वेंकटेश्वर टाकीज में कुछ लोगों द्वारा टाकीज पहुँचकर फिल्म प्रदर्शन बंद करा दिया गया। यही नही उपद्रवियों ने फिल्म के पोस्टर को फाड़कर पिक्चर देखने आ रहे लोगों को आने से भगाया गया। इसी सिलसिले में दल्लीराजहरा के भाजपा मंडल अध्यक्ष राकेश द्वेवदी ने कहा है कि फिल्म कका जिंदा हे का टाईटल ही विवादों को जन्म दे रहा है। क्योंकि छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल कका नाम से विख्यात हो गए है और उन्होंने अपने पूर्व के कई सभाओं में कहा भी है कका जिंदा हे। फिल्म को किसान आधारित बताया जा रहा है परंतु इसमें अभिनेता किसानी कार्य के अलावा चुनाव लड़ता है और बघेल सरकार की तरह योजनाओं को चलाकर संदेश देते नजर आ रहा है। जो विधानसभा चुनाव को प्रभावित कर सकता है।

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राकेश द्वेवदी ने कहा है कि वे इस बाबत जिला निर्वाचन अधिकारी को मांग पत्र सौपकर फिल्म प्रदर्शन पर रोक लगाने की मांग करेंगे। वही दुर्ग निवासी अनूप कुमार पांडेय ने जिला निर्वाचन अधिकारी को विषय-आदर्श आचार संहिता उल्लंघन की शिकायत लिखकर कहा है कि वे भारत के नागरिक है उन्होंने 2018 के विधानसभा और 2019 लोकसभा का दुर्ग से प्रत्याशी रहे है। तथा वे 2023 का विधानसभा चुनाव लड़ने जा रहे है।

छत्तीसगढ़ के सिनेमाघरों में फिल्म कका जिंदा हे लगी है। फिल्म में गोबर खरीदी,धान खरीदी,कका जिंदा हे जैसे और भी कई शब्दों व वाक्यों को प्रदर्शित एवं प्रचारित किया गया है। जिससे उक्त फिल्म राजनीतिक लाभ की भावना व उद्देश्य से ग्रस्त होकर प्रदर्शित किया जाना प्रतीत हो रहा है।

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इससे वर्तमान विधानसभा चुनाव 2023 के प्रभावित होने की पूर्ण संभावना बन रही है। जो कि स्पष्ट रूप से आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन होना भी प्रतीत हो रहा है। अतएव इस फिल्म को चुनाव पर्यन्त तक प्रदर्शन में रोक लगाकर चुनाव संपन्न हो जाने पश्चात प्रदर्शित किए जाने की मांग की गई है। इस तरह फिल्म के टाईटल “कका जिंदा हे” से ही यह फिल्म विवादों से घिर रहा है और इसका जमकर विरोध किया जा रहा है।

गौरतलब है कि फिल्म “काहे के चिंता हे कका जिंदा हे” को प्रोड्यूसर मनोज खरे ने पूरी तरह किसान आधारित फिल्म बता रहे है।

एक सवाल के जवाब में प्रोड्यूसर ने कहा कि इस फिल्म की स्क्रिप्ट बहुत पहले से तैयार की गई है और यह फिल्म 15 सितंबर को सिनेमाघरों में शुभारंभ किये जाने की तैयारी थी। मगर किसी कारणवश प्रदर्शन में देर हो गई। हमारी इस फिल्म को विरोध के चलते भिलाई व्येकेटश्वर टाकीज में कुछ लोगों ने आकर बंद करा दिया। जिससे अन्य कई स्थलों के टाकिजों के मालिकों द्वारा फिल्म प्रदर्शन से मना किया जा रहा है। जबकि यह फिल्म किसी भी तरह राजनीतिक से प्रेरित नही है,कुछ लोगों द्वारा गलत आरोप लगाया जा रहा है। हमे भारतीय कानून पर पूर्ण भरोषा है।

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