रायपुर(संचार टुडे)। प्रिदर्शनी सहकारी बैंक घोटाला रमन सरकार के संरक्षण में हुआ, अजय चंद्राकर उस सरकार में मंत्री थे। लूट और ठगी में सहभागी भाजपाई, खाताधारकों से माफी मांगने के बजाय बेशर्मी से चुनौती दे रहे हैं। जो तथ्य सामने आए उसमें भाजपाइयों की संलिप्तता लगातार उजागर हुई है। बैंक मैनेजर उमेश सिन्हा के नार्को टेस्ट की जांच के आदेश से अब प्रियदर्शनी सहकारी बैंक के 22 हज़ार खाताधारकों को न्याय मिलने की उम्मीद बनी है। दिसंबर 2006-07 में हुए घोटाले से लेकर 2018 तक सरकार में रहते भाजपाई कभी नहीं चाहे की खातेधारकों को न्याय मिले। अब जब न्याय की उम्मीद बनी है तो लूट के सहभागी भाजपाई ही चुनौती देकर खातेधारकों का उपहास उड़ा रहे हैं। प्रियदर्शनी सहकारी बैंक घोटाले को संरक्षण देने वाली रमन सरकार में मंत्री रहे अजय चंद्राकर किस नैतिकता से चुनौती दे रहे हैं?
प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने कहा है कि छत्तीसगढ़ में भाजपाइयों का आचरण चोरी और सीनाजोरी वाली कहावत चरितार्थ करता है। अजय चंद्राकर बताए की उनके द्वारा रमन सरकार में मंत्री रहते खातेधारकों को न्याय दिलाने की दिशा में 11 सालों में क्या प्रयास किए गए? खाताधारकों से की गई इस लूट को छिपाने तत्कालीन मुख्यमंत्री रमन सिंह, भाजपा के कद्दावर नेताओं बृजमोहन अग्रवाल, राजेश मूणत, रामविचार नेताम और अमर अग्रवाल की भूमिका भी उजागर हो चुकी है। करोड़ों के लेनदेन भी उजागर हो चुके हैं। ऐसे में कार्यवाही की चुनौती बेशर्मी की पराकाष्ठा है। इसी तरह छत्तीसगढ़ में चिटफंड कंपनियों को बसाकर छत्तीसगढ़ के भोले भाले जनता से 6000 करोड़ से अधिक की राशि को लूटने में सहभागी भी भाजपा नेता रहे। तत्कालीन रमन सरकार के नेता मंत्री और रमन सिंह के परिजन तक चिटफंड कंपनियों के कार्यालय का उद्घाटन किया करते थे तमाम जिलों में रोजगार मेला लगाने के नाम पर बेरोजगार युवाओं को झांसे में फसाया गया। झांसे में फसकर अपनों का धन गवाने वाले सैकड़ों युवा एजेंट और निवेशक आत्महत्या करने मजबूर हुए लेकीन भाजपाई कमिशन खाकर मस्त रहे। आम जनता की गाढ़ी कमाई लूट कर भागने वालों को संरक्षण और भागने का अवसर देते रहे। भूपेश सरकार आने के बाद छत्तीसगढ़ में चिटफंड कंपनियों के खिलाफ कार्यवाही की गई न्यायालयों के माध्यम से संपत्ति की जब्ती नीलामी और कुर्की लगातार जारी है। निवेशकों को भरोसा हुआ है कि उनका पैसा वापस मिलेगा पूरे देश में ऐसा दूसरा उदाहरण नहीं है जहां दूसरे राज्यों से भी समन्वय कर गिरफ़्तारी जब्ती कुर्की और नीलामी की कार्यवाही की जा रही हो। नीति और नियत कायम अंतर साफ है भाजपा लुटेरों के साथ और कांग्रेस निवेशकों के साथ।