गीता प्रेस की इस पुस्तक की बढ़ी डिमांड, विदेशों में भी लोग कर रहें है सर्च
गोरखपुर की प्रसिद्ध और प्रतिष्ठित गीता प्रेस (Geeta Press) को सौ साल पूरे हो चुके हैं. ये प्रेस 23 मई 1923 से लगातार हिंदू धर्म की पुस्तकों का प्रकाशन कर रही है. यहां छपी किताबों की हमेशा मांग रहती है. लेकिन अयोध्या में इस साल 22 जनवरी को रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद से यहां श्री रामचरित मानस (Shri Ramcharit Manas) हाथों-हाथ बिक रही है. सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि विदेशों से भी इस महाकाव्य की डिमांड है.
अयोध्या में राम मंदिर (Ram Mandir) निर्माण का असर धार्मिक साहित्य की बिक्री पर भी पड़ा है. लोग राम चरित मानस (Shri Ramcharit Manas) पढ़ना पसंद कर रहे हैं. इसका पता इस बात से चलता है कि गोरखपुर की गीता प्रेस में श्री रामचरितमानस की डिमांड लगातार आ रही है. भारत के अलावा अमेरिका, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया जैसे कई देशों में इसे वेबसाइट के जरिए भी पढ़ा जा रहा है. श्री रामचरितमानस, शिवपुराण, कल्याण सहित कई धार्मिक पुस्तकों और ग्रंथों का प्रकाशन यहां किया जाता है.
सवा दो लाख ने वेबसाइट पर पढ़ी
डिमांड को देखते हुए गीता प्रेस ने 16 से 31 जनवरी तक अपनी वेबसाइट पर पाठकों के लिए निशुल्क सेवा शुरू की थी. उस दौरान लगभग 2 लाख 25 हजार लोगों ने श्री रामचरितमानस पढ़ा. लगभग 68 हजार लोगों ने इसे डाउनलोड किया था. साथ ही विदेश में भी कई लोगों ने इस पुस्तक को वेबसाइट पर सर्च किया था. इसमें ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, जर्मनी, यूनाइटेड किंगडम, नेपाल के लोग शामिल हैं. वेबसाइट पर पाठकों के लिए हिंदी, अंग्रेजी के साथ लगभग 10 भाषाओं में श्री रामचरितमानस और कई पुस्तकों को अपलोड किया गया था .
देश विदेश में गीता प्रेस की धूम
गीता प्रेस में छपने वाली पुस्तकों को गीता प्रेस के स्टॉल से खरीदा जा सकता है. अन्य कई स्टॉल्स पर भी यह उपलब्ध रहते हैं. गीता प्रेस के मैनेजर लालमणि तिवारी बताते हैं गीता प्रेस की वेबसाइट पर श्री ‘रामचरितमानस’ के सभी भाषाओं के संस्करण सहित 500 से अधिक ग्रंथ और धार्मिक पुस्तकों को अपलोड किया गया है. उन्हें हर दिन पाठक पढ़ रहे हैं. यह सुविधा सिर्फ भारत के लोग ही नहीं विदेशों में रहने वाले लोग भी ले रहे हैं. वहां से भी इन वेबसाइट के जरिए विजिट किया जा रहा है. धार्मिक पुस्तकों को पढ़ा और डाउनलोड किया जा रहा है।