संचार टुडे(दंतेवाडा)। छत्तीसगढ़ के बस्तर में 12 विधानसभा सीटों में से 11 जनजाति के लिए अरक्षित है, यहां से जनजाति के दो सांसद भी चुनकर आते हैं, इतना ही नहीं अब प्रदेश का नेतृत्व भी जनजाति का मुख्यमंत्री कर रहे हैं, लेकिन विडंबना देखिए कि उनके अपने समुदाय के बच्चों के छात्रावास दुर्गति में है। जी हां! यह हम नहीं कह रहे हैं, बल्कि छात्रावास की स्थिति इस बात को उजागर कर रही है।
ये तस्वीरें दंतेवाड़ा जिले की है। यहां कटेकल्याण ब्लॉक में पत्रकारों की टीम ने पिछले दिनों छात्रावासों का जायजा लिया। इसमें जो चौंकाने वाली तस्वीरें सामने आई है। वह आपके सामने है। तस्वीरों में आप देख सकते हैं कि किस तरह बच्चे फटे हुए गद्दों में सोने के लिए मजबूर हैं। यह गद्दे रद्दी में डालने के स्थिति में है, फिर भी इन्हें इसे इस्तेमाल में लाने के लिए दिए जा रहा है।
इन छात्रवासों के बाथरूम की स्थिति देखकर आपको उल्टियां शुरू हो जाएगी। इन्हीं बाथरूम में बच्चे शोच करते हैं और नहाते भी है।
छात्रावास की दीवारों पर पता नहीं कब से रंग चढ़ें है। देखने में छात्रावास का भवन किसी खंडहर से कम नहीं रहा है। ऐसे में इसे देखकर आप सोचिए कि बच्चों को पढ़ने में कितनी रूचि होती होगी।
छात्रावास में बच्चों से बातचीत में पता चला कि जिस तरह भवन का हाल है, उसी तरह उनके भोजन का भी हाल है। उन्हें न तो डाईट प्लान के अनुरूप भोजन परोसा जाता है और न ही पोष्टिक आहार दिया जाता। ऐसे में बच्चें कुपोषण का शिकार अलग हो रहे हैं। छात्रों ने बताया कि ये गद्दे पांच साल पहले आये थे। भवन के जर्जर होने की वजह से बारिश का पानी पड़ कर यह ख़राब हो गया। अब आलम यह है कि छोटे-छोटे कीड़े-मकौड़े इन गद्दों में घर बना चुके है, जो बच्चों को सोते वक़्त काटते भी हैं।
जनजाति छात्र-छात्राओं की शिक्षा, उनके रहने और खाने के लिए हर साल करोड़ों रूपये खर्च करने का दावा सरकार और जिला प्रशासन करती है। लेकिन सामने आई तस्वीर सरकार और जिला प्रशासन से चीखकर अब सवाल करने लगी है कि आखिर ये खर्च हो कहां रहे हैं? सवाल उन इलाकों से चुनकर आने वाले जनप्रतिनिधि और प्रदेश के मुखिया विष्णुदेव साय पर भी उठता है कि आखिर बस्तर जैसे जनजाति बाहुल्य इलाकों में पढ़ने वाले बच्चों के लिए उन्होंने किया क्या है?