सक्ती(संचार टुडे)। सक्ती विधानसभा चुनाव में सर्वाधिक आदिवासी मतदाताओं की तादात है। ऐसे में चुनाव के जीत हार में ये अहम भूमिका निभाते रहे हैं। माना जाता है कि यहां किस पार्टी का विधायक बनना है यह आदिवासी वोटर्स पर टिका हुआ होता है।

यही वजह है कि भाजपा व कांग्रेस दोनों ही पार्टी आदिवासियों का भरोसा बरकरार रखने के लिए पूरी ताकत झोंक रही है। वहीं चर्चा इस बात की भी है कि इस समाज तालुका रखने वाले को यदि टिकट दिया जाता है तो चुनावी परिणाम सुखद हो सकतें हैं।

आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर बीजेपी-कांग्रेस का फोकस आदिवासी वोटर्स हैं। सक्ती सियासत में ऐसा कहा जाता है कि आदिवासी वोटर जिस पार्टी के साथ जाता है विधानसभा में उसका ही विधायक बैठता है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, सक्ती विधानसभा में सर्वाधिक आदिवासी वोटर्स हैं। जिसमें सबसे ज्यादा गोड़, कंवर व उरांव है।

गोड वोटर्स के अजा वर्ग, बाद यादव, मरार पटेल, राठौर, साहू, देवांगन, धोबी, केंवट, अग्रवाल, जायसवाल, महंत व ब्राम्हण वोटर्स है। कुल मिलाकर आदिवासी वोटर्स राजनैतिक डगर पर चलने वाले राजनेताओं के लिए तुरुप का वह इक्का हैं जो विधानसभा चुनाव के परिणामों में मुख्य किरदार निभाएंगे।

गोड़ समाज से विद्या सिदार को मिला टिकट तो जीत तय

सक्ती विधानसभा में आदिवासियों की बहुलता को देखते हुए अनुसूचित जनजाति से यदि विद्या सिदार को टिकट मिलती है तो जीत लगभग पक्की मानी जा रही है। श्रीमती सिदार दिग्गज आदिवासी महिला नेत्री है जो भाजपा के लिए लगातार काम कर रही है। क्षेत्रीय जनता में इनकी पकड़ बेहद मजबूत है साथ ही समाज को ये साथ लेकर चल रही है। ऐसे में भाजपा को विद्या सिदार से बेहतर कोई प्रत्याशी फिलहाल नहीं मिल पायेगा। अब देखना होगा कि पार्टी आदिवासी वोटर्स के साथ आदिवासी प्रत्याशी को कितनी प्राथमिकता देती है।