रायपुर(संचार टुडे)।  शहर के सबसे पुरानी बस्ती कहे‌ जाने वाली पुरानी बस्ती जो प्रदेशभर में महशूर हैं यहां बहुत सी पुरानी चीजों का गढ़ कहा जाने वाला एक बस्ती है। महंत लक्ष्मीनारायण दास वार्ड क्रमांक 43 के जेतुसाव मठ के पास चार सौ साल से भी पुरानी बावली वाले हनुमान मंदिर के नाम से जाने वाले मंदिर प्रणाग में बावली की शुक्रवार को साफ सफाई की गई। जिसमे 20 से 25 फीट गहरा पानी बावली में भरा हुआ है। उससे खाली करके उसकी सफाई व्यवस्था की गई। वार्ड पार्षद जितेन्द्र अग्रवाल ने बताया कि यह मंदिर 400 सौ साल से अधिक पुराना है और मंदिर परिसर में तीन हनुमान जी जो बाहर विराजमान हैं और एक जो हनुमान जी की मूर्ति है वो बावली के अंदर है जो चौथे हनुमान जी है बावली की साफ सफाई कर उसे एक नया स्वरूप दिया जायेगा।शुक्रवार को सुबह 10 से लेकर शाम 7 बजे तक बावली का पानी खाली करने की कोशिश की गई, फिर भी पूरा पानी खाली न हो सका। लगभग 40-50 फीट तक पानी को खाली किया गया। इस दौरान चौथे हनुमानजी की मूर्ती बावली के अंदर में बंदर के रूप में दिखाई दी, जिसको साफ किया गया। इसमें पूंछ, पैर व मुख दिखाई दे रहा है। दरअसल पुरानी बस्ती में नागरीदास मठ और जैतसाव मठ के बीच चार सौ साल पुरानी एक बावली है। इस बावली की खासियत यह है कि चाहे कितनी भी भीषण गर्मी हो, लेकिन आज तक यह बावली नहीं सूखी। इसी बावली से हनुमानजी की तीन प्रतिमाएं निकली हैं। इसमें एक प्रतिमा बड़े भाई के रूप में दूधाधारी मठ में और दूसरी बावली एवं तीसरी गुर्दाबारी मच्छी तालाब के किनारे बने विशाल मंदिर में प्रतिष्ठापित है। सैकड़ों सालों से लोगों की ऐसी मान्यता है कि जब बावली से तीनों मूर्ती को निकाला गया था।