गोरेलाल सोनी की खास रिपोर्ट…
CG Balod News: बालोद जिले के डौंडी ब्लाक में स्वामी आत्मानंद स्कूल जो वर्ष 2021 से हिंदी माध्यम विद्यालय के रूप में संचालित हो रहा है, में शिक्षक पदों की गंभीर कमी और भर्ती प्रक्रिया में हो रही देरी ने स्कूल की कार्यप्रणाली को प्रभावित किया है। इस स्थिति ने बच्चों के भविष्य और शिक्षा की गुणवत्ता को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
वर्तमान में, स्वामी आत्मानंद स्कूल डौंडी में विभिन्न विषयों के लिए स्वीकृत 21 शिक्षक पदों में से कई पद खाली हैं या प्रतिनियुक्ति पर कार्यरत शिक्षक वर्ग हैं। हिंदी विषय के लिए स्वीकृत एक पद पर कोई शिक्षक कार्यरत नहीं है, जबकि संस्कृत के एक पद पर प्रतिनियुक्ति शिक्षक कार्यरत हैं। अंग्रेजी के दो पदों में से एक पद पर केवल अतिथि शिक्षक कार्यरत हैं। कला और राजनीति शास्त्र के दो पदों में से एक पद रिक्त है, और दूसरा 2023 से रिक्त पड़ा है। इतिहास के एक पद पर शिक्षक कार्यरत हैं, वहीं गृह विज्ञान, अर्थशास्त्र, जीव विज्ञान, रसायन शास्त्र, भौतिकी जैसे विषयों के कई पदों पर स्थिति गंभीर है। गृह विज्ञान और अर्थशास्त्र के पदों पर दोनों शिक्षक प्रतिनियुक्ति पर कार्यरत हैं, जबकि भौतिकी और रसायन शास्त्र के पदों पर एक-एक पद अतिथि शिक्षक और एक-एक पद प्रतिनियुक्ति पर कार्यरत है।
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CG Balod News: इसके अलावा, गणित और कामर्स के सभी पदों पर शिक्षक कार्यरत हैं, लेकिन अन्य विषयों में गंभीर शिक्षक की कमी बनी हुई है। इस समस्या को लेकर जनवरी 2023 में डौंडी विद्यालय द्वारा जिला बालोद के डीईओ को पत्राचार किया गया था, जिसमें रिक्त पदों की भर्ती प्रक्रिया शुरू करने का आग्रह किया गया था।
हालांकि, अब तक किसी भी पद पर भर्ती नहीं हो पाई है, और स्थिति जस की तस बनी हुई है। हिंदी माध्यम के इस विद्यालय में पदों की रिक्तता ने शिक्षकों के कार्यरत रहने की स्थिति को भी प्रभावित किया है। वर्तमान में हिंदी शिक्षकों का वेतन जिले के अन्य विद्यालयों से दिया जा रहा है, जिससे विद्यालय की कार्यप्रणाली पर असर पड़ रहा है। इससे न केवल छात्रों की शिक्षा की गुणवत्ता में गिरावट आ रही है, बल्कि उनकी भविष्यवाणी भी अनिश्चित हो गई है।
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CG Balod News: विशेषज्ञों का मानना है कि यदि इस स्थिति को शीघ्र न सुधारा गया, तो आगामी समय में शिक्षक की कमी से शिक्षा के स्तर में और भी गिरावट हो सकती है। यह स्थिति शिक्षा विभाग और प्रशासन के लिए एक गंभीर चुनौती बन चुकी है, और सभी की निगाहें अब इस बात पर हैं कि भविष्य में इस समस्या का समाधान कैसे किया जाएगा। आखिरकार, यह बच्चों के भविष्य और शिक्षा की गुणवत्ता से जुड़ा हुआ मुद्दा है, जिस पर शीघ्र ध्यान देने की आवश्यकता है।