कोरोना महमारी के बाद देश और दुनिया की अर्थव्यवस्था पटरी पर लौट रही है, लेकिन अब भी बाजार और निवेशकों पर काफी दबाव है. ऐसे में निवेशकों को ऐसा कुछ करना चाहिए कि दबाव के बावजूद बाजार से मुनाफा कमाया जा सके. ऐसा ही एक फंड है अपॉर्च्युनिटीज फंड, जहां पैसे लगाकर अस्थायी चुनौतियों में भी बेहतर रिटर्न कमाया जा सकता है. इस फंड ने हर साल 20 फीसदी से ज्यादा रिटर्न दिया है, जबकि 4 साल में पैसा ढाई गुना हो गया.
अपॉर्च्युनिटीज फंड स्थानीय और वृहद चुनौतियों जैसे कि कोरोना, लॉकडाउन, उच्च महंगाई, ब्याज दर में बढ़ोतरी, रूस-यूक्रेन संघर्ष, कच्चे तेल की कीमत में वृद्धि और एनबीएफसी संकट को सफलतापूर्वक पार कर लिया है. इस फंड ने पिछले 3-4 वर्षों में और सभी इक्विटी श्रेणियों में सर्वश्रेष्ठ रिटर्न भी दिया है. अगर रिटर्न की बात करें तो आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल इंडिया अपॉर्च्युनिटीज फंड में अगर किसी ने जनवरी, 2019 में एक लाख रुपये का निवेश किया होता तो यह रकम अब 2.38 लाख रुपये हो जाती.
हर साल बेंचमार्क से ज्यादा रिटर्न
आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल इंडिया अपॉर्च्युनिटीज फंड ने हर साल 20.7 फीसदी सीएजीआर से रिटर्न दिया है. इसी दौरान बेंचमार्क का रिटर्न 15.5 फीसदी रहा है. इसका मतलब है कि बेंचमार्क निफ्टी 50 टीआरआई में 1 लाख रुपये का निवेश करने वालों का पैसा अब तक 1.94 लाख रुपये ही बना है. यानी आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल इंडिया अपॉर्च्युनिटीज फंड ने बेंचमार्क के निवेशकों की तुलना में 44 हजार रुपये का ज्यादा रिटर्न दिया है.
सिप करने वालों की भी चांदी
आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल इंडिया अपॉर्च्युनिटीज फंड में सिप के जरिये पैसे लगाने वाले निवेशकों की भी चांदी हो गई. इस फंड में 10 हजार रुपये महीने का सिप शुरू करने वाले का कुल निवेश अभी तक 5.6 लाख रुपये हो गया है. इस पर बंपर रिटर्न मिलने की वजह से अब तक रकम दोगुने के करीब पहुंच गई है और कुल रकम बढ़कर 10.44 लाख रुपये हो गई है. गौरतलब है कि बाजार की अस्थिरता के बावजूद यह फंड बढ़ते और सुधार की ओर जाते बाजारों में पैसा लगाता है.
मौका देखकर बदलता है रणनीति
आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल इंडिया अपॉर्च्युनिटीज फ्लेक्सी कैप रणनीति का उपयोग करके इक्विटी में निवेश करता है. यह 2021 तक ज्यादातर लार्ज-कैप में निवेश करता था, क्योंकि तब लार्ज कैप का प्रदर्शन अच्छा था. इस दौरान 70 प्रतिशत से अधिक निवेश इक्विटी में थे और बाकी मिड और स्मॉल कैप कंपनियों में थे. अब यह फंड रणनीति बदलकर मल्टी-कैप बन गया है.