इस बार विधानसभा चुनाव में ताल ठोक सकते हैं मनहरण राठौर, सक्ती प्रदर्शन से बढ़ा कांग्रेस का टेंशन

Manharan Rathore can contest the assembly elections
Manharan Rathore can contest the assembly elections

सक्ती(संचार टुडे)। इस बार सक्ती विधानसभा में विधानसभा चुनाव दिलचस्प होने जा रहा है। विधानसभा अध्यक्ष डॉ चरण दास महंत के लिए मुसीबत थमने का नाम नहीं ले रही हैं।

कांग्रेस के कद्दावर नेता और कांग्रेस के प्रदेश महासचिव ने चुनावी मैदान में उतरने ताल ठोंक दी है। इस बार मनहरण राठौर ने चुनाव लड़ने का पूरा मन बना लिया है।

महिला कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष नेटा डिसूजा के सामने जिस प्रकार मनहरण राठौर ने अपने कार्यकर्ताओं और समाज प्रमुखों के साथ जिस प्रकार शक्ति प्रदर्शन किया उसनेहै निश्चित रूप से कांग्रेस को सोचने पर मजबूर कर दिया है।

मनहरण राठौर सक्ती विधानसभा का जाना माना चेहरा है। 2003 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का चेहरा थे। कड़ी टक्कर में 32 सौ मतों से मेघाराम साहू के हाथों उनको पराजय मिली लेकिन 2008 में वापसी करते हुए उनकी धर्मपत्नी श्रीमती सरोजा मनहरण राठौर ने मेघाराम साहू को जबरदस्त पटकनी दी थी।

इसके बाद 2013 के चुनाव में सरोजा राठौर फिर से कांग्रेस की प्रत्याशी थी। 2018 में कांग्रेस के डा चरण दास महंत ने जीत दर्ज की इसमें मनहरण राठौर ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
लेकिन 2023 के विधानसभा चुनाव में विधानसभा अध्यक्ष डॉ चरणदास महंत की राह आसान नजर नहीं आ रही है।

राठौर समाज अब उनसे दूरी बनाता हुआ दिखाई दे रहा है। समाज के कुछ प्रबुद्ध वर्ग के लोगों से चर्चा में बताया कि समाज की उपेक्षा बर्दाश्त नहीं होगी। इस बात से कांग्रेस की छत्तीसगढ प्रभारी को भी समाज के लोगों ने मुलाकात कर अवगत कराया था।

रेस्ट हाऊस में काफी संख्या में उपस्थित थे मनहरण समर्थक 

विगत दो दिनों पूर्व महिला कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष नेटा डिसूजा टिकट के दावेदारों से मिलने पहुंची थी। इस समय मनहरण राठौर के सैंकड़ों समर्थक विधानसभा के अलग-अलग गांव से पहुंचे थे।

इस बात की जोरदार चर्चा रही की मनहरण राठौर सक्ती विधानसभा चुनाव में इस बार ताल ठोक सकते हैं। उनके चाहने वाले लगातार मनहरण राठौर के समर्थन में नारेबाजी कर रहे थे।

कुल मिलाकर कहा जा सकता है की यह एक शक्ति प्रदर्शन था और इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि मनहरण राठौर को कमजोर समझना या राठौर समाज को नजरंदाज करना कांग्रेस और डा चरण दास महंत के लिए भारी पड़ सकता है।

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