Supreme Court order: नाबालिग लड़की के साथ रेप की कोशिश से जुड़े फैसले को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई से सुप्रीम कोर्ट ने इनकार कर दिया है। याचिका में जजमेंट के उस विवादित हिस्से को हटाने की मांग की गई है, जिसमें कोर्ट ने कहा था कि पीड़िता के प्राइवेट पार्ट को छूना और पजामे के नाड़े को तोड़ना रेप की कोशिश का मामला नहीं बनता। सोमवार को याचिका पर सुनवाई के लिए मामला जस्टिस बेला त्रिवेदी की बेंच के सामने आया था। मामले में दलीलें रखने के लिए वकील खड़े हुए। उन्होंने कहा कि माई लॉर्ड, हमारे यहां नारा है बेटी पढ़ाओ, बेटी बचाओ। जस्टिस बेला त्रिवेदी ने उनको रोकते हुए कहा कि यहां भाषणबाजी नहीं होनी चाहिए। इस मामले में एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड कहां हैं?
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पिटीशन को डिसमिस किया
Supreme Court order: वकील ने कहा कि एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड का सुनवाई के समय कोर्ट में होना जरूरी नहीं है। जस्टिस बेला त्रिवेदी ने फिर पूछा कि याचिकाकर्ता कहां हैं? इस पर वकील ने कहा कि याचिकाकर्ता शहर से बाहर हैं। जस्टिस बेला त्रिवेदी ने कहा कि हम इस मामले पर आर्टिकल-32 के तहत सुनवाई नहीं करेंगे। पिटीशन डिसमिस की जाती है। दायर याचिका पर सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस बेला माधुर्य त्रिवेदी और जस्टिस प्रसन्ना बी वराले की बेंच के सामने सुनवाई होनी थी।
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जानिए क्या था पूरा मामला
Supreme Court order: इस मामले में 17 मार्च को इलाहाबाद हाई कोर्ट के जज राम मनोहर नारायण मिश्रा ने आदेश जारी किए थे। उन्होंने अपने आदेशों में जिला अदालत को एक समन में संशोधन करने के लिए कहा था। उच्च न्यायालय ने समन में रेप की कोशिश के आरोप हटाने और सिर्फ छेड़छाड़ या हमला करने की धाराओं में मामला दर्ज करने के आदेश दिए थे। दो आरोपियों के खिलाफ गंभीर आरोप लगे थे। शिकायत के अनुसार नाबालिग लड़की के प्राइवेट पार्ट को छुआ गया और सलवार का नाड़ा तोड़कर उसे पुलिया के नीचे ले जाया गया। आरोपियों के खिलाफ रेप की कोशिश की धाराओं के तहत केस दर्ज किया गया था।