भारत देश का एक ऐसा गांव जहां दिवाली के बाद सैकड़ों पशु की होती है मौत, डॉक्टर भी नहीं सुलझा पाए गुत्थी
भागलपुर जिले के कोइली खुटहा गांव को एक अजीबोगरीब रूप में परिचित किया जाता है, जहां दीपावली के बाद से पशुओं के असामान्य मरने का सिलसिला चला आ रहा है, और इसे रोकने का उपाय ढूंढ़ने में लोगों को कठिनाई महसूस हो रही है. यहां लगभग हर बार दीपावली के बाद हजारों पशुओं की मौत दर्ज की जाती है.
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गांववालों के अनुसार, यह सिलसिला पिछले कई वर्षों से चल रहा है, जिसमें गायों की संख्या सबसे अधिक है, और कुछ भैंस भी इसमें शामिल हैं. इसमें सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि इस समस्या का समाधान अब तक नहीं निकाला जा सका है, जिससे गांववालों को अत्यधिक परेशानी हो रही है.
क्या कहते हैं गांव के बुजुर्ग
हालांकि ग्रामीण मेघनाथ यादव से बात की गई तो उन्होंने बताया कि उनकी उम्र लगभग 79 साल है, और वे जब से होश में हैं, तब से ही गांव की यही स्थिति है. दीपावली के बाद से अचानक पशुओं की असामान्य मौत का सिलसिला शुरू हो जाता है, लेकिन इसकी वजह अब तक स्पष्ट नहीं हो सकी है. डॉक्टर और ग्रामीण दोनों ही इस समस्या के समाधान में सक्रिय नहीं हो पा रहे हैं. ग्रामीण से बात करने पर पता चला कि जब डॉक्टर से पूछते हैं, तो बताते हैं कि यह सर्रा या घेंघा रोग है, जिसमें कई प्रकार के लक्षण दिखाई देते हैं, लेकिन कोई एक वजह मौत की नहीं होती है. उन्होंने एक घटना साझा की, जिसमें एक गाय खाते-खाते अचानक थरथराने लगी और 5 मिनट के अंदर में मौत हो गई.
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इससे साफ है कि इस रोग का उपचार करने के बावजूद मरने की संख्या काफी अधिक है और इसकी वजह अब तक अज्ञात है. यहां के एक क्षेत्रवासी ने बताया कि इस रोग में जानवर सबसे पहले सुस्त होते हैं और अचानक खाना-पीना सब छोड़ देते हैं. इसके बाद, उनका गला फूलने लगता है, और धीरे-धीरे वह खड़ा भी नहीं हो पाता है. इस स्थिति में जानवरों की मौत होती है, जिसके बारे में समझ पाना काफी कठिन है.
क्या कहते हैं पशुपालन अधिकारी
पशुपालन अधिकारी ने बताया कि पिछले साल सैंपल लेने के बाद साफ नजर आता है कि यह सर्रा रोग का आक्रमण है. हालांकि, वे भी यह सुनिश्चित करने के लिए लगातार जांच कर रहे हैं कि कौनसी बीमारी इतने पशुओं को एक साथ प्रभावित कर रही है जो इसके बावजूद अब तक डॉक्टरों को समझ में नहीं आया है. सबसे बड़ी बात कि यह सिलसिला सिर्फ और सिर्फ 15 से 20 दोनों का ही होता है. उसके बाद सभी गाय खुद व खुद स्वस्थ हो जाती है.