गोरेलाल सोनी की खबर…
बालोद(संचार टूडे)। देश की सबसे महत्वकांक्षी रावघाट रेल परियोजना अंतर्गत अंतागढ़ से 20 किलोमीटर आगे ताडोकी तक रेल लाईन मार्ग का निर्माण कार्य लगभग पूर्ण हो रहा है । 31 जुलाई को रेल्वे की सेफ्टी कमिश्नर की टीम यहां आकर ओके कहने के बाद रायपुर से अंतागढ़ तक चलने वाली ट्रेन अब तड़ोकी तक दौड़ने लगेगी। जिसके लिए रेल मार्ग निर्माण कार्य युद्ध स्तर किया जा रहा है। जानकारी हो कि दल्ली राजहरा से जगदलपुर को जोड़ने मुख्य रेल मार्ग रावघाट रेल परियोजना जो कि बस्तर का रेड कॉरिडोर यानी लाल आतंक का गढ़ कहे जाने वाले क्षेत्र के बीच से गुजरने वाली रावघाट रेल परियोजना का कार्य अपनी पूरी गति पर है। इस धुर माओवाद प्रभावित क्षेत्र में रावघाट रेल परियोजना का कार्य कर पाना सरकार के लिए सबसे बड़ी चुनौती रही है। इस परियोजना के तहत बिछाई जा रही रेल्वे ट्रेक की सुरक्षा के लिए एसएसबी के दो बटालियन में 500 जवान 24 घंटे तैनात रहते हैं। इनके अलावा बीएसएफ के जवान भी इसकी सुरक्षा में मुस्तैद हैं। रावघाट परियोजना के अंतर्गत चल रहे रेलवे ट्रैक निर्माण व ट्रैक के सुरक्षा इंतजाम देखने बालोद जिला के डौंडी पत्रकार ओम गोलछा के नेतृत्व में टीम केवटी रेलवे स्टेशन से रावघाट तक पहुंची।
35 किलोमीटर के इस सफर में हमने रावघाट रेल परियोजना की कई बारीकियों को देखा और उनके समक्ष आ रही चुनौती को समझने का भी प्रयास किया। यहाँ से निकलने वाले उच्च क्वालिटी के लौह अयस्क की आपूर्ति देश के सबसे बड़े स्टील प्लांट भिलाई इस्पात संयंत्र को होनी है। यह देश की सबसे बड़ी खनन परियोजना है। इसके लिए दल्ली राजहरा से रावघाट तक 95 किलोमीटर का रेल ट्रैक तैयार किया जा रहा है। अभी कुछ मात्रा में खनन कार्य शुरू किया गया है लेकिन ट्रकों के माध्यम से रेक प्वाइंट तक परिवहन किया जा रहा है। रेल्वे ट्रैक का काम अभी पूर्ण नहीं हुआ है फिलहाल आम लोगों के लिए कुछ दूरी तक पैसेंजर ट्रेन की सुविधा दी जा रही है।
घने जंगल में जवानों के लिए चारों ओर है खतरा
इस इलाके में घने जंगलों की वजह से चारों तरफ से खतरा सर पर मंडराता है। माओवादियों के आतंक से यहां मीडिया भी विशेष सुरक्षा के बिना नहीं पहुंच पाते। देश के अंदर का ऐसा खतरनाक इलाका जहां रेल लाइन की सुरक्षा के लिए सशस्त्र सीमा बल की दो बटालियन चौबीस घंटे पहरा दे रही हैं। इसके आगे रावघाट का क्षेत्र बीएसएफ की सुरक्षा में है। एसएसबी के डिप्टी कमांडेट दिव्याजित सम्राट (कोसरुण्डा) ने बताया कि इस इलाके से यहाँ के नक्सल बेहतर तरीके से वाकिफ हैं, बल्कि हम तो उनके लिए नए हैं। वे अब तक 2 बार हमारे ऊपर हमला कर चुके हैं जिसे हमने नाकाम किया है। ये हमारे जवानों की बेहतर ट्रेंनिग का ही परिणाम है जो हम यहाँ अपनी जिम्मेदारी अच्छे से निभा रहे हैं। वर्ष 2019 में नक्सलियों द्वारा एक डीजल वाहन को आईडी ब्लास्ट कर उड़ाया गया था, जिसमें तीन मजदूरों की मौत भी हो गयी थी। इसके बाद से और अधिक सतर्कता बरती जा रही है।
पांचवे चरण का कार्य जुलाई तक होगा पूरा
देश की सबसे महत्वकांक्षी रावघाट रेल परियोजना का पांचवा चरण जुलाई आखरी माह तक पुरा हो जायेगा । पहले चरण साल 2016 में दल्लीराजहरा से गुदुम तक 17 किलोमीटर चालू किया गया। जिसके बाद दूसरा चरण साल 2018 में गुदुम से भानूप्रतापपुर तक 17 किलोमीटर की पटरी बिछाई गई। तीसरे चरण में भानूप्रतापपुर से केवटी तक 8 किलोमीटर की पटरी बिछाने का काम साल 2019 से पूरा किया गया। वहीं चौथा चरण केवटी से 17 किलोमीटर दूर अंतागढ़ तक पटरी बिछाने का काम साल 2020 में पूरा कर लिया गया था लेकिन कोरोना काल होने के कारण ट्रेन की शुरुआत नही किया गया था जो 13 अगस्त 2022 हो शुरू हुआ। वहीं पांचवा चरण अंतागढ से ताडोकी 20 किलोमीटर तक पटरी बिछाने का जुलाई आखरी माह तक पूर्ण हो जायेगा। जानकरों का कहना है कि 2024 से पहले रावघाट तक रेल लाइन पूरी तरह बिछ जायेगी।
मेढ़की नदी पर बन रहा 260 मीटर का बड़ा पूल
केवटी से अंतागढ़ के 18 किलोमीटर वाले एरिया में 28 छोटी पुलिया और 3 बड़े पुल हैं। अंतागढ से ताडोकी 20 किलोमीटर के बीच में 51 छोटी पुलिया व 3 बड़े पुलों का निर्माण किया गया है। वहीं ताडोकी के आगे कोसरोंडा मेढकी नदी जो अति संवेदनशील एरिया में आता है। उसपर रावघाट परियोजना का सबसे लंबा 260 मीटर का पुल निर्माण किया जा रहा है, यह जून माह तक पूर्ण हो जायेगा। इस क्षेत्र में सशस्त्र सीमा बल के एक दर्जन कैम्प और ऑपरेटिंग बेस (सीओबी) हैं। दो बटालियन यहां तैनात हैं, लेकिन इनकी संख्या और स्थान का उल्लेख सुरक्षा कारणों से नहीं किया जा रहा है। माना जा रहा है कि 2024 के पहले ट्रैक अपने आखिरी पड़ाव तक पहुंच जाएगा। रावघाट से वहां तक लौह अयस्क को ढोकर लाया जाएगा, इसके बाद रेलवे रैक के जरिए इसको बीएसपी तक पहुंचाया जाएगा। एसएसबी के जवानों के द्वारा सुबह पहले सर्चिंग किया जाता हैं उसके बाद ही काम शुरू होता है। शाम को काम बंद कर सभी वाहनों को कैम्प के पास लाकर खड़ा किया जाता है।
बीहड़ जंगलों में विषम परिस्थिति के बीच कार्य कर रहे रेल विकास निगम लिमिटेड के प्रोग्राम मैनेजर भावेश पांडे, प्रोजेक्ट डायरेक्टर कन्हैया गोयल,पी एम सी के प्रोजेक्ट मैनेजर पी के सिंग ,प्रेम कुमार, प्रश्नना बेहरा,आर के श्री वास्तव, निर्माण कंपनी पटेल इंजीनियरिंग के जी एम सुभाष कुकेकर, मैनेजर दया शंकर सिंह, के आर इंफ्रा के राणा अरुण कुमार सिंह, राणा प्रेम कुमार सिंह,राणा विक्रांत सिंग,योगेंद्र प्रताप सिंह, सिग्नल ब टेलीकाम का कार्य कर रही एस एस रेल के सुमित सर के अलावा सैकड़ों की संख्या में स्थानीय ग्रामीण इस परियोजना में कार्य कर नया इतिहास रच कर भविष्य के विकास के लिए प्रयास कर रहे है।