Navratri का तीसरा दिन : यहां है मां चंद्रघंटा का प्रसिद्ध मंदिर, पुराणों में भी है इसका वर्णन

रायपुर. शारदीय नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजन की जाती है. मां का ये स्वरुप शांति प्रदान करने वाला और कल्याणकारी माना गया है. पौराणिक कथाओं के अनुसार मां भगवती ने असुरों का संहार करने के लिए इस रुप को धारण किया था.मां का नाम चंद्रघंटा इसलिए पड़ा क्योंकि उनके मस्तक पर घंटे के आकार का अर्धचंद्र बना हुआ है. मां का स्वरुप अलौकिक है. उनका शरीर स्वर्ण के समान दमकता है. मां चंद्रघंटा की दस भुजाएं हैं, जिनमेंअस्त्र-शस्त्र सुशोभित हैं. सिंह मां चंद्रघंटा की सवारी है.

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मां का प्रसिद्ध मंदिर उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में स्थित है. यह मंदिर चौक में स्थित है जो कि प्रयागराज का काफी व्यस्त इलाका माना जाता है. यह मां क्षेमा माई का बेहद प्राचीन मंदिर है. कहते हैं कि पुराणों में इस मंदिर का विशेष तौर पर उल्लेख किया गया है. यहीं मां दुर्गा देवी चंद्रघंटा स्वरुप में विराजित हैं. कहते हैं कि यहां के दर्शन मात्र से ही लोगों के शारीरिक और मानसिक कष्टों में कमी आ जाती है.

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पुराणों में भी इस मंदिर का विशेष वर्णन है. यहां पर देवी दुर्गा, माता चंद्रघंटा के स्वरूप में विराजमान हैं. वैसे इस मंदिर को इकलौता ऐसा मंदिर माना जाता है जहां मां दुर्गा के नौ स्वरूपों का एक साथ दर्शन होता है.